रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय
इस ब्लॉग पोस्ट में हम लोग रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय पढ़ेंगे जो up board एग्जाम में लगभग हर साल पूछा जाता है और 2023 में भी पूछा जायेगा चाहे कक्षा 10 हो या कक्षा 12 ये दोनो में आता है हाईस्कूल में जीवन परिचय और उनकी रचना पूछा जाता है जो 3 नंबर का होता है
जीवन परिचय में शाहित्यिक परिचय भी लिखना होता है जो की बहुत ही जरूरी है उसके बिना आपको नंबर भी कम मिल सकता है इसलिए आप लोग साहित्यिक परिचय जरूर लिखना है तो चलिए अब जीवन परिचय पढ़ते है
जीवन परिचय-----
रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 30 सितम्बर, 1908 ई० को जिला मुंगेर (बिहार) के सिमरिया नामक ग्राम मे हुआ था। इनके पिता का नाम श्री रवि सिंह और माता का नाम श्रीमती मनरूप देवी था।
इनके दो वर्ष की अवस्था में ही इनके पिता का देहावसान हो गया अतः इनका देख-रेख बड़े भाई वसंत सिंह और माता ने किया इनकी आरम्भिक शिक्षा गांव के पाठशाला मे हुई।
विद्यालय के लिए घर से पैटल दस मील रोज आते जाते थे। इन्होने मैट्रिक की परिक्षा मोकामा घाट स्थित रेलवे हाइस्कुल से उत्तीर्ण की।1932 ई० में पटना से इन्होंने बी० ए० की परिक्षा उत्तीर्ण की।
इनकी विवाह वाल्यवस्था मे हो गया था. 1932 ई0 में वी० ए० करने के बाद नये स्कूल के प्रधानाचार्य बने अध्यापक बने 1934 मे इस पद को छोड़कर सब रजिस्ट्रार बने। सन् 1952 ई0 से सन् 196350 तक ये राज्यसभा के सदस्य मनोनित किये गये।
सन 1964 ई0 मे ये भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति बने। इनकी मृत्यु 24 अप्रैल 1974 ई0 को हुई साहित्यिक परिचय- दिनकर जी सम्मानित कवि थे। पद्मभूषण, साहित्य आकादमी, द्विवेदी पदक ये पदक इनके इनके राष्ट्र-कवि के प्रमाण थे, 1972 मे 'उर्वशी' के लिए ज्ञान पीठ पुरस्कार भी मिला।
कृतियाँ------
काव्य रचना - रेणुका, हुंकार, कुरुक्षेत्र, उवर्शी,
खण्डकाव्य - प्रणभंग और रश्मिरथी
कविता संग्रह- रसवत्ती, इतिहास के आँसु, नीम के पत्ते, परशुराम की प्रतिज्ञा
बाल साहित्य - धूप-छाँह, सुरज का व्याह
नाम | रामधारी सिंह दिनकर |
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जन्म | 30 सितंबर 1908 ईo |
ग्राम | सिमरिया |
पिता का नाम | रवि सिंह |
माता का नाम | श्रीमती मनरूप देवी |
शिक्षा | मोकामा रेलवे हाइस्कूल, बी ए पटना |
कार्य | सब रजिस्ट्रार, राज्यसभा के सदस्य |
मृत्यु | 24 अप्रैल 1974 |
रचनाएं | रेणुका, हुंकार, अर्वर्शी, प्रणभांग, रसवंत, नीम के पत्ते, परशुराम की प्रतिज्ञा, सूरज का व्याह |
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